रामचरितमानस में मिथिला-संस्कृति
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Author(s):
DR. POONAM KUMARI
Vol - 11, Issue- 11 ,
Page(s) : 11 - 17
(2020 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
भूमि एवं भूमि पर बसनेवाले जन और जन की संस्कृति से राष्ट्र के स्परूप का निर्धारण होता है। संस्कृति ‘सम्’ उपसर्ग पूर्वक ‘कृ’ धातु से ‘क्तिन्’ प्रत्यय मिलकर निष्पन्न हुई, जिसका शाब्दिक अर्थ है, सम्यक् रूप से की गयी कृति।
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