हिन्दी सिनेमा में थर्ड जेंडर
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Author(s):
KRISHNA KUMARI
Vol - 11, Issue- 11 ,
Page(s) : 23 - 29
(2020 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
साहित्य में किन्नर को लंबे समय के बाद स्थान मिला। समाज से निष्कासित समुदाय को साहित्य जगत में स्थान पाना कठिन था। आरम्भिक काल में फ़िल्म की दशा भी यही थी। आज के फ़िल्म निर्माता नयी-नयी समस्य़ाओं को उजागर करने में लगे हुए हैं। साहित्य और सिनेमा के संदर्भ में विपुल कुमार का मानना है कि “साहित्य और फ़िल्म का बुनियादी संबंध है।
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