साठ के दशक में नारी उपन्यासकार और स्त्री विमर्श
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Author(s):
DR. SUNITA
Vol - 12, Issue- 4 ,
Page(s) : 11 - 16
(2021 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
स्वातन्त्र्योत्तर काल खण्ड में जीवन-मूल्यों में व्यापक परिवर्तन हुआ महिला उपन्यासकारों के उपन्यासों में यह परिवर्तन प्रखरता से प्राप्त होता है। परम्परागत जीवन मूल्य एवं आधुनिक जीवन मूल्यों के बीच संघर्षरत नारी की मानसिकता का चित्रण इन उपन्यासों का प्रमुख विषय रहा है। साथ ही सामाजिक, धार्मिक, मानसिक, पारिवारिक एवं शारीरिक धरातल पर नारी का जो शोषण हो रहा है तथा आज की नारी इस शोषण से अपने आप को मुक्त करने के लिए जो प्रयास कर रही है उसे साठोत्तरी महिला उपन्यासकारों ने अपने उपन्यासों का विषय बनाया है।
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