स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी उपन्यासों में बदलते स्त्री-पुरुष सम्बन्ध
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Author(s):
DR. ROY JOSEPH
Vol - 6, Issue- 7 ,
Page(s) : 39 - 47
(2015 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
स्वतान्त्र्योत्तर भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष सम्बन्धों में एक विशेष परिवर्तन दिखाई पड़ता है। यह एक महत्वपूर्ण परिवर्तन है, जिसे स्वातन्त्र्योत्तर रचनाकारों ने अपने उपन्यासों में रूपायित करने का प्रयास किया है। राजेन्द्र यादव, निर्मल वर्मा, मन्नु भंडारी, कृष्णा सोबती, कमलेश्वर, श्रीकांत वर्मा आदि अनेक समकालीन उपन्यासकारों ने स्त्री-पुरुष के पारस्परिक सम्बन्धों में होने बाले परिवर्तनों को चित्रित किया है।
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