वैदिकी शिक्षा और वर्तमान समाज
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Author(s):
PRAVEEN KUMAR
Vol - 4, Issue- 2 ,
Page(s) : 146 - 152
(2013 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
प्राचीनता के विचार से हमारी भारतीय संस्कृति संसार की आदि संस्कृतियों से सिरमौर है। इस मृत्यु´्जयी संस्कृति की अक्षुण्ण परम्परा, इसकी असीम जीवन शक्ति की परिचायिका है। भारतीय वाङ्मय में ज्ञान-गौरव की गाथा नहीं है, अपितु ज्ञान-प्राप्ति की प्रक्रिया का पर्याप्त विवेचन मिलता है। वैदिकी शिक्षा के सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि यह मनुष्य को उसके अन्तर्निहित ज्ञान को प्रमाणीभूत कर देना ही वास्तविक शिक्षा मानती है।
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