Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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हिंदी साहित्य का सामाजिक उत्थान पर प्रभाव स्वंत्रतता प्राप्ति के बाद

    1 Author(s):  DR. GITA SINGH

Vol -  12, Issue- 7 ,         Page(s) : 61 - 66  (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

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Abstract

देश की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए हिंदी साहित्य का योगदान अक्षुण्ण है ,अप्रतिम है ,असीमित क्रन्तिकारी है I इसका कारन यह था कि लक्ष्य स्पष्ट था और हिंदी साहित्यकार अपनी भूमिका तय कर चुका था ,वह चौतरफा युद्ध लड़ रहा था – देश की परतंत्रता से ,सामाजिक समस्याओं से ,हिंदी के अस्तित्त्व के लिए तथा विश्व- परिप्रेक्ष्य में भारत की स्पष्ट भूमिका तय करने के लिए I और इस चहुमुहाने पर हिंदी साहित्यकार अंगद की पांव की तरह जमा हुआ था I ऐसा नहीं था कि तब आपसी मतभेद नहीं थे पर वह मतभेद शिक्षित लोगो जैसा था – यह एक सुखद स्थिति थी I इसे प्रमाणित करने के लिए तबकी साहित्यिक रचनाओं को देख लें – ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ –लोगों की जिह्वा पर था और साथ में ‘विधवा’ ,’भिक्षुक’ ,’वह तोडती पत्थर’ भी I


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