भाषा एवं भारतीय भाषा वैज्ञानिक चिन्तन
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Author(s):
PRATIBHA TIWARI
Vol - 12, Issue- 8 ,
Page(s) : 77 - 86
(2021 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
जिस तरह यह विशाल दुनिया, ब्रह्माण्ड हमारी जिज्ञासा का कारण रहा है, उसी प्रकार मानव भी जिज्ञासा का कारण रहा है । जितना वह बाहरी दुनिया को देखना-समझना चाहता है उतना ही भीतरी परिदृश्य को भी । आदिकाल की स्थितियों का यदि हम अनुमान करें तो ज्ञात होता है कि जब मनुष्य के पास भाषा नहीं थी तब भी वह अपने कार्य-कलाप करता होगा ।
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