Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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दलित साहित्य और ओम प्रकाश वाल्मीकि

    1 Author(s):  SHRI RAVINDRA KUMAR

Vol -  12, Issue- 9 ,         Page(s) : 18 - 22  (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

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Abstract

दलित साहित्य अपने उद्भव में नया नहीं है,तो इसे शोध की परिधि में रखकर इस पर आज के समय में जीवन्त बहस चल रही हैं । जब से सृष्टि निमार्ण हुआ ,तब से मानव जाति का उदय हुआ माना जाता हैं । मानव अपने कर्मो के अनुसार चार भागों मे विभक्त हो गया, आदिकाल में नाथों और सिद्वों का साहित्य भक्तिकाल में कबीर और रैदास जैसे संतो की कविताएं तथा परवर्ती काल में हीरा डोम की कविता के साथ ही गद्य के आगमन और अभिव्यक्ति के नूतन माध्यमों ने साहित्य की इस मुख्य धारा को अनेक दिशाओं में मोड़ने की कोशिश की गई,और अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए यें दासों की तरह दूसरों पर आश्रित रहते थे और चाह कर भी अपने जीवन सें सम्बंधित निर्णय नहीं ले सकते थें ।


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