उन्नीसवीं सदी के छठे दशक में औपन्यासिक चेतना
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Author(s):
DR. SUDHIR KUMAR GAUTAM
Vol - 12, Issue- 10 ,
Page(s) : 23 - 27
(2021 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
आधुनिक हिन्दी साहित्य में उन्नीसवीं सदी के छठे दशक का वर्ष अपनी अलग पहचान, विशेषता और महत्ता लिए हुए है। छठे दशक में युवा लेखकों ने अपनी रचनाओं को जिन अनछुई दिशाओं की ओर मोड़ लिया है, उसके फलस्वरूप छठे दशक का हिन्दी साहित्य अनेक सामयिक पत्र - पत्रिकाओं तथा समीक्षको में चर्चा का मुख्य विषय रहा है। ‘‘साठ के बाद की कविता’’ ‘‘साठोत्तरी कहानी’’, साठोत्तरी उपन्यास’’ आदि फतवे भी दिए जा रहे है।
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