Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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भाषा विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में अर्थविज्ञान को व्याकरणशास्त्र का योगदान

    1 Author(s):  VIKAS CHANDRA BALUNI

Vol -  12, Issue- 12 ,         Page(s) : 11 - 18  (2021 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

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Abstract

हम सब जानते हैं कि आधुनिक विज्ञान के युग में अध्ययन के क्षेत्र में भाषाविज्ञान के अध्ययन का भी शीर्ष स्थान है। भाषाविज्ञान में भाषा की उत्पत्ति, स्वरूप तथा विकास आदि का वैज्ञानिक एवं विश्लेषणात्मक अध्ययन किया जाता है। जैसे- भाषा की उत्पत्ति कैसे हुयी? कब हुयी? इसका स्वरूप क्या है? इसका विकास कैसे हुआ? इसमें कब-कब क्या-क्या परिवर्तन आते गये? उन परिवर्तनों के क्या कारण थे? और उनका क्या प्रभाव पडा? उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ तक भाषा संबंधी इस अध्ययन को यूरोप में भाषाविज्ञान नाम नही दिया गया था। तब तक भाषा विषयक इस अध्ययन को और व्याकरण को प्राय: एक ही रूप में लिया जाता था।


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