समान कारक होने पर भी विभक्ति-भेद से अर्थभेद की सूक्ष्मेक्षिका
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Author(s):
DR. JAGMOHAN, DR. DOLAMANI ARYA
Vol - 13, Issue- 3 ,
Page(s) : 11 - 14
(2022 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
पाणिनीय व्याकरण को मुख्य रूप से आकृतिमूलक व्याकरण माना जाता है । इस विषय में पाणिनि का “अथ शब्दानुशासनम्” यह सूत्र स्वयं प्रमाण है, जिसमें शब्दों के अनुशासन की बात कही गयी है । यह अनुशासन किस प्रकार से किया जायेगा ? इस विषय का स्पष्टीकरण करते हुए काशिकाकार कहते हैं कि सामान्य और विशेष वाले सूत्रों से प्रकृति-प्रत्यय आदि के विभाग की कल्पना के द्वारा शब्दों का अनुशासन किया जायेगा ।
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