राग दरबारी और शिक्षा जगत
1
Author(s):
DR. SUDHANSHU KUMAR SHUKLA
Vol - 9, Issue- 1 ,
Page(s) : 26 - 29
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
Get Index Page
Abstract
शिक्षा जगत की तमाम खूबियों को दर्शाने की कला में पारंगत श्रीलाल शुक्ल का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता यथावत बनी हुई है। कुछ ना कुछ तो कारण रहा ही होगा कि सन् 1964 से जिस उपन्यास को लिखना शुरू किया और 1968 में प्रकाशित हुआ, वह उपन्यास आज भी पढ़ने के उपरांत भारत की वर्तमान शिक्षा पद्धति की धज्जियाँ उखाड़ता सा लगता है।
|