महामति प्राणनाथ के काव्य में सर्वधर्म समन्वय
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Author(s):
DR. MANOJ KUMAR KAIN
Vol - 9, Issue- 2 ,
Page(s) : 21 - 28
(2018 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
हिन्दी साहित्य के इतिहास में संत काव्यधारा की एक सुदीर्घ परम्परा रही है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अपने पौरुष से हताश जाति का भगवान की भक्ति या उनकी और उन्मुखता के अलावा कोई मार्ग नहीं था। वहीं कुछ इतिहासकार मानते हैं कि भक्ति दक्षिण भारत से चल कर उत्तर भारत में आयी। अपने प्रारम्भिक रूप में भक्ति काव्यधारा दो भागों में बँटी नजर आती है- पहली निर्गुण संत काव्यधारा, दूसरी सगुण काव्यधारा।
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