नव्य-वेदान्त और साहित्य
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Author(s):
DR.BHASKAR LAL KARN
Vol - 14, Issue- 9 ,
Page(s) : 11 - 15
(2023 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
अतीत और परंपरा को संदर्भित कर एवं वैचारिक विविधताओं को व्यवस्थित कर आधुनिककाल के आरंभिक चरण में नव्य-वेदांत का आगमन होता है। जिसमें भारत के नवीन परिस्थितियों की मांग को आधार बनाते हुए वैश्विक औपनिवेशिक वातावरण में ज्ञानमीमांसा का नया रूप उभर कर आता है।
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