वेदों में राष्ट्रिय भावना
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Author(s):
PARMANAND KUMAR
Vol - 10, Issue- 2 ,
Page(s) : 20 - 23
(2019 )
DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
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Abstract
संस्कृत वाङ्मय में वेदों का आविर्भाव और उसमें राष्ट्रिय चेतना की पराकाष्ठा सर्वप्रथमरूपेण परिलक्षित होती है। हमारे वेदर्षियों ने राष्ट्र की एकता, अखण्डता, सम्प्रभुता, संस्कृति-सभ्यता, नैतिकता आदि की रक्षा के लिए वेदों में अनगिनत उदाहरण दिए हैं। वेदों में हमारे देश को धन-धान्य से परिपूर्ण बताया गया है। देश के लोग मिलजुकर रहें ऐसी कामना की गई है। स्वराज्यविस्तार और राष्ट्र के प्रति नैतिक कत्र्तव्य को वेदों में भलीभाँति दर्शाया गया है।
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