Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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नब्बे के दशक के उपन्यासो के नारी पात्रोँ मे मूल्य सँक्रमण
1 Author(s): DR. PADMAVATHI
Vol - 4, Issue- 4 , Page(s) : 87 - 91 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
म्नुष्य् जीवन मूल्यो की धरोहर है.मूल्य ही मानव जीवन को अर्थ प्रदान करतेहै.मूल्यो पर ही मानव जीवन की इकाई खडी है.ये मूल्य् नैतिक, व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक,राजनैतिक,धार्मिक,इत्यादि कई क्षेत्रो मे व्यापक अर्थो मे प्रयुक्त होते है.युग और समय परिवर्तनाभिलाषी होता है.परिवर्तन ही जीवन को नैरन्तर्यता प्रदान करता है.गतिशीलता ही जीवन है .वरना ठहरा हुआ जीवन म्र्रत समान है.बदलते युग के साथ मानव की मानसिकता मे भी परिवर्तन अपेक्षित है.मूल्यो मे परस्पर टकराहट ही मानव जीवन को गतिशील बनाती है.साहित्य और समाज का घनिष्ट सम्बन्ध है.साहित्यकार समाज से ही प्रेरणा लेता है