Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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समर्थपदविचार
1 Author(s): TARUN KUMAR DEEP
Vol - 4, Issue- 3 , Page(s) : 132 - 136 (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
सम् + अर्थ यह व्युत्पत्तिपरक अर्थ लिया जाए तो समर्थ का अर्थ होगा- ‘‘समान अर्थ: यस्य स: समर्थ:’’ अर्थात् जिसका अर्थ समान है। यथा- कृष्ण + सर्प: ये दोनों शब्द परस्पर समान है अत: यहाँ समास हो जाता है ‘‘राज्ञ: + पुरुष:’’ में समानता का अभाव होने से समास सम्भव नहीं है। अत: यह स्पष्ट रूप से सदोष है। काशिकाकार समर्थ शब्द का अर्थ देते हैं- ‘समर्थ: = शक्त:’ अर्थात् जो अपने अर्थ को कहने में समर्थ है वह समर्थ है।