Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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नील देवी का भाव बोध
1 Author(s): DR. SUDHANSHU KUMAR SHUKLA
Vol - 9, Issue- 2 , Page(s) : 11 - 14 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
भारतेंदु एक सजग साहित्यकार थे। उनका मानना था कि इस परिवेश में अर्थात ब्रिटिश सरकार की हुकूमत में कैसे भारतीय जन समुदाय को जोड़ा जा सके। लोगों में राष्ट्रीय चेतना का संचार हो वह अट्ठारह सौ सत्तावन का गदर, स्वतंत्रता आंदोलन देख चुके थे। भारतवासियों की कमजोरी, आपसी कलह को खूब अच्छी तरह समझते थे।