Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
डाॅ. सुमन राजे का सृजन संसार
1 Author(s): DR. SUDHA MISHRA
Vol - 5, Issue- 9 , Page(s) : 20 - 26 (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
‘‘....................... साहित्यकार के आत्म तत्व की महानता का प्रतिबिम्ब ही साहित्य का औदात्य है। सच्चा वाग्वैदग्ध उन्हीं में पाया जा सकता है जिनकी चेताना व्यापक और उदार हो। जो लोग जीवन भर क्षुद्र उद्देश्यों संकीर्ण स्वार्यों के पीछे पड़े रहते हैं वे मानवता के लिए स्थायी महत्व की रचना नहीं दे पाते। यह बिल्कुल स्वाभाविक है कि जिनके मतिष्क महान विचारों से परिपूर्ण होते हैं उन्हीं की वाणी से उदाŸा शब्द झंकृत होते हैं।’’1