Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

Impact Factor* - 6.2311


**Need Help in Content editing, Data Analysis.

Research Gateway

Adv For Editing Content

   No of Download : 41    Submit Your Rating     Cite This   Download        Certificate

हरियाणाप्रदेश की संस्कृतमहाकाव्यलेखनपरम्परा में स्वामीनिगमब¨धतीर्थ का योगदान

    1 Author(s):  SUNIL KUMAR

Vol -  6, Issue- 2 ,         Page(s) : 10 - 16  (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

हरियाणा प्रदेश का भारत के समस्तप्रदेश¨ं में महत्त्वपूर्ण स्थान है। वस्तुतः क्षेत्रफलएवं जनसंख्या की दृष्टि से अल्पकाय ह¨ते हुए भी हरियाणा का इतिहास अत्यन्त ग©रवमय है,क्य¨ंकि किसी भी प्रदेश की महानता उसके आकार पर नहीं अपितु राष्ट्रीय स्तर पर उसके य¨गदान पर निर्भर करती है। इस प्रदेश की धरती पर सरस्वती एवं दृषद्वती नदिय¨ं के तट पर वैदिक यज्ञ¨ं का आय¨जन किया जाता था तथा भारतीय संस्कृति के प्रथमांकुर वैदिक ऋचाओं की उद्गमस्थली भी इसी भूमि क¨ स्वीकार किया जाता है।हरियाणा प्रदेश की भूमि पर ही राजर्षि कुरु द्वारा कृषिविद्या का श्रीगणेश माना जाता है एवं यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमöगवतगीता के ज्ञानामृत का प्रतिपादन किया था।


  1.  हरियाणावैभवम् ,पद्य-29      
  2.  मनुस्मृति, 2.7
  3.  हरियाणा का इतिहास, पृ.-4
  4.  सारबन शिलालेख, पद्य-3
  5.  वही., पृ- 6
  6.  हरियाणासंस्कृतवृत्तम्, पृ.-29
  7.  निगमपीयूषलहरी, पृ. 21-30 
  8.  काव्यालंकार, 1.19-1.23
  9.  काव्यादर्श, 1.14-1.19
  10.  अग्निपुराण, 337.24-337.32
  11.  काव्यालंकार, 6.7-6.19
  12.  साहित्यदर्पण, 6.315-6.325
  13.  श्रीशंकराचार्यचरितम्, 1.1

*Contents are provided by Authors of articles. Please contact us if you having any query.






Bank Details