Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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लोकगीतों में सौन्दर्य बोध
1 Author(s): DR. GEETA SINGH
Vol - 6, Issue- 8 , Page(s) : 12 - 17 (2015 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
हम रात भर सूर्य से लौटने के लिए प्रार्थना नहीं करते। हम ग्रीष्म की दोपहरियों में समुद्र तट पर बैठकर उससे बादल भेजने के लिए निहोरा नहीं करते। हम साँस के लिए पवन के पास दूत नहीं भेजते; पर क्या इससें यह प्रमाणित नहीं होता कि हमें उनकी निरन्तर उपलब्धि में अखंड विश्वास है। (महादेवी वर्मा)