Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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कुमाऊँ में नायक समाज की शैक्षिक व सामाजिक स्थिति का अद्यतन विमर्श (विशेष संदर्भ : बालिका शिक्षा)

    1 Author(s):  DR. LALIT JALAL

Vol -  7, Issue- 4 ,         Page(s) : 5 - 11  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

भारतीय संस्कृति और सामाजिक संगठन की व्यवस्था पर आधारित था। कार्य की प्रकृति व श्रम के आधार पर सम्पूर्ण समाज को चार वर्गों में बाँटा गया। वर्ण का आधार गुण व कर्म हैं जबकि जाति का आधार जन्म है। इसमें व्यक्ति की नैतिकता और बौद्धिक क्षमता का विशेष महत्व है जबकि इसके विपरीत जाति व्यवस्था में जन्म और अनुवांशिकता का महत्वपूर्ण स्थान है।

    1. पोखरिया, देव सिंह 2000, कुमाऊँनी संस्कृति, श्री अल्मोड़ा बुक डिपो अल्मोड़ा।
      2. हरिकृष्ण रतूड़ी, 2004, गढ़वाल का इतिहास, भागीरथी प्रकाशन, नई टिहरी।
        3. पांडे, बद्री दत्त 1990, कुमाऊँ का इतिहास अल्मोड़ा। 
          4. डबराल, शिव प्रसाद, 1990, उत्तराखण्ड का इतिहास (कुमायूँ का इतिहास) भाग-10, वीरगाथा प्रकाशन गढ़वाल। 
            5. सिंह राम, 2007 सोर मध्य हिमालय का अतीत प्रारम्भ से 1857 तक मल्लिका बुक्स दिल्ली।
              6. बिष्ट, बी.एस. 2007 उत्तराँचल ग्रामीण समुदाय पिछड़ी जाति एवं जनजातीय परिदृश्य। 
                7. पन्नालाल, (अनु0) 2008 कुमाऊँ में प्रथागत कानून प्रकाश थपलियाल (1994) उत्तराखण्ड प्रकाशन हिमालय सचेतना संस्थान, चमोली।
                  8. पांडे गिरिजा, एंव भाकुनी, हीरा सिंह (सम्पा), हिमालयी इतिहास के विविध आयाम, अनामिका पब्लिशर्स एवं डिस्ट्रीव्यूटर्स नई दिल्ली।

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