Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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संस्कृत भाषा और हिंदी: एक अध्ययन (अर्थपूर्णता और
1 Author(s): MEENAKSHI
Vol - 3, Issue- 3 , Page(s) : 16 - 17 (2012 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
संपूर्ण विश्व की यह मान्यता है कि ऋग्वेद उपलब्ध साहित्य जगत में सबसे प्राचीन ग्रंथ है। देवभाषा संस्कृत से प्राचीन कोई भाषा नहीं है और देवनागरी लिपि से प्राचीन कोई लिपि नहीं है। भारत की मान्य भाषाओं तथा लिपियों में ब्राह्मी, £रोष्ठी, प्राकृत और पाली अपभ्रंश तथा परवर्ती काल में हिंदी आती है। कुछ पाश्चात्य विद्वान भाषा वैज्ञानिक- सर विलियम जोन्स, जे ब्लयूम फील्ड, जाॅर्ज इब्राहिम, गिर्यसन तथा फ्रेडरिक मैक्समूलर आदि संस्कृत से प्राचीन भाषा भारोपीय (भारत$यूरोप) का नामोल्लेख करते हैं, किंतु यह केवल कल्पना मात्र है क्योंकि इस भाषा का न तो कोई ग्रंथ उपलब्ध है और न ही साहित्य। यहाँ तक कि वर्णमाला और लिपि भी अप्राप्य है।