1. बर्रो टी., द अर्ली आर्यन्स, ए कल्चरल हिस्ट्री आव इंडिया, संकलन-ए.एल.बाशम, आक्सफर्ड, 1975, पृष्ठः 20। डी.एन.झा, प्राचीन भारत, ग्रंथशिल्पी, दिल्ली, 2003, पृष्ठः 44।
2. ऋग्वेद, नदी स्तुति, 10.75।
3. रा. कु. मुखर्जी, प्राचीन भारत, राजकमल, दिल्ली, 2009, पृष्ठः 26।
4. बर्रो टी., द अर्ली आर्यन्स, ए कल्चरल हिस्ट्री आव इंडिया, संकलन-ए.एल.बाशम, आक्सफर्ड, 1975, पृष्ठः 27।
5. रा. कु. मुखर्जी, प्राचीन भारत, राजकमल, दिल्ली, 2009, पृष्ठः 27। ऋग्वेद, 1.37.8।
6. ऋग्वेद, 3.43.5।
7. डी.एन.झा, प्राचीन भारत, ग्रंथशिल्पी, दिल्ली, 2003, पृष्ठः 49-50।
8. वही, पृष्ठः 48।
9. राजसूय यज्ञ के अनुष्ठान के समय राजा को पुरन्भेŸाा कहा गया है।
10. डी.एन.झा, प्राचीन भारत, ग्रंथशिल्पी, दिल्ली, 2003, पृष्ठः 46।
11. रा. कु. मुखर्जी, प्राचीन भारत, राजकमल, दिल्ली, 2009, पृष्ठः 27।
12. वैदिक इंडेक्स, मैक्डानल एवं कीथ, खण्ड दो, पृष्ठः 200।
13. ऋग्वेद, 10.97.11।