Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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रविन्द्रनाथ टैगोर के शैक्षिक विचारों की उपादेयता

    2 Author(s):  DR. Y.K SINGH , DINESH KUMAR MISHRA

Vol -  7, Issue- 9 ,         Page(s) : 16 - 19  (2016 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने षिक्षा से जुड़ी समस्याओं तथा शैक्षिक उन्नति के सन्दर्भ में गहनता से चिन्तन किया एवं टैगोर जी ने जिस षिक्षण प्रणाली एवं षिक्षा पद्धति का समर्थन किया वे वर्तमान समय में अत्यन्त उत्तम कोटि का फल देने वाला चिन्तन प्रतीत होता है, प्रस्तत लेख में गुरुदेव के कुुछ ऐसे ही विचारों की उपादेयता को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है।


  1. सिह मधुरिमा और भार्गव महेष (2012) शैक्षिक दर्षन एवं विचारक विभोर ज्ञान माला, आगरा 282007 पृ0 सं. 256
  2. रमन बिहारी लाल (2010) शैक्षिक चिन्तन एवं प्रयोग, आर.लाल. बुक डिपो मेरठ, 250001 पृ0सं. 337
  3. टैगोर रविन्द्रनाथ (2013), षिक्षा का विस्तार तथा अन्य निबन्ध खण्ड 36, सस्ता साहित्य मण्डल नई दिल्ली 110001
  4. पाण्डेय रामषकल (2009) उदीयमान भारतीय समाज में षिक्षा, श्री विनोद पुस्तक मन्दिर, आगरा- 2 पृ. क्र. 162
  5. श्रीवास्तव रष्मि (2010) रविन्द्रनाथ टैगोर के विचारों की वर्तमान संदर्भ में प्रांसागिकता वर्ष 17 अंक - 3 दिसम्बर 2010 , राष्टीय योजना एवं प्रषासक विष्वविद्यालय नई दिल्ली
  6. अनूप कुमार (2006) रविन्द्रनाथ टैगोर के शैक्षिक चिन्तन की आधुनिकता, वर्ष 25 संयुक्तांक 1-20 जुलाई 2006 एन.सी. ई आर. टी नई दिल्ली।

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