Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
**Need Help in Content editing, Data Analysis.
Adv For Editing Content
‘कथा एक कंस की‘ में मानवीय स्थिति
1 Author(s): DR. SUDHANSHU KUMAR SHUKLA
Vol - 8, Issue- 1 , Page(s) : 26 - 28 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
नाटक ‘कथा एक कंस की‘ आधुनिक हिंदी नाट्य यात्रा में एक मील का पत्थर है। रंग जगत् और साहित्य.जगत् दोनों द्वारा प्रशंसित, चर्चित, मंचित, पठित माना गया है। इससे नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता तथा नाटक को जीवन का प्रतिरूप मानकर जीवन जीने की कथा का पता चलता है। उनके नाटकों में जीवन के दोनों रूपों का सुंदर प्रयोग देखने को मिलता है। ‘कथा एक कंस की‘ नाटक में कंस ही नहीं सभी पात्रों में चाहे वह स्वाति हो, चाहे वह अस्ति हो। सभी पात्र मानवीय स्थितियों में बंधे हुए हैं। ‘कंस और रावण हमारे राष्ट्रीय खलनायक हैं। उनके प्रति घृणा हमारे जनमानस में उत्कीर्ण है। कदाचित इसलिए आज तक कंस और रावण नाटक या फिल्म में केवल विलेन के रूप में चित्रित किये गए हैं। कंस और रावण ही क्यों हमारे नाटककारों और फिल्म बनाने वालों की सब ही पौराणिक और ऐतिहासिक पात्रों के प्रति एक सी दृष्टि रही है