Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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वेश्याजीवन के विशेष परिप्रेक्ष्य में मुरदाघर: एक अध्ययन
1 Author(s): MUKESH KUMAR
Vol - 8, Issue- 5 , Page(s) : 5 - 8 (2017 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
वेश्याजीवन के यथार्थ का अवलोकन करते हुए मुरदाघर उपन्यास के संदर्भ में शोध के दौरन जो बातें सामने निकलकर आई है। उनमें एक अहम् बात तो यह है कि भारतीय समाज में वेश्यावृत्ति एक सामाजिक बुराई के रूप में प्राचीन समय से ही बनी हुई है । वेश्यावृत्ति को रोक पाने में अभी तक हमारा समाज असमर्थ ही दिखाई देता है । ऐसा नहीं है कि इस समस्या से समाज को मुक्त नहीं किया जा सकता है। दुखद बात यह है कि अभी तक इसकों समस्या से जोड़कर ही नहीं देखा गया ।