Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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वास्तुशास्त्रज्ञ भोज: राजमार्तण्ड के विशेष सन्दर्भ में

    1 Author(s):  NILESH VYAS

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 148 - 155  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

महाराज भोज वास्तुशास्त्र के निष्णात आचार्य हैं उन्होंने इस विषय पर ‘समराङ्गणसूत्रधार’ नामक विशाल ग्रन्थ की रचना की है, जो लगभग सात हजार श्लोक व तिरासी अध्यायों में विभक्त है। राजाभोज वास्तुशास्त्र के विज्ञ आचार्य होने के साथ ही स्वयं एक महान निर्माता भी थे। उन्होंने वास्तुशास्त्र की नगर योजना के अनुसार ही धारा व भोजपुर को बसाया तथा अनेक राजप्रासाद, मन्दिर व जलाशयों का निर्माण करवाया था। राजमार्तण्ड में वास्तु विषय को प्रकरण के रूप में प्रतिपादित किया गया है।

1. श्रीमद्भागवत - वेदव्यास, देवीनन्दन, यन्त्रालय, वृन्दावन 1964
2. बृहत्संहिता - वराहमिहिर, चैखम्बा संस्कृत सीरिज, वाराणसी, 2008
3. मुहूत्र्तचिन्तामणि - रामदैवज्ञ, सम्पा. - केदारदत्त जोशी, मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली 1995
4. राजाभोज - विश्वेश्वरनाथ रेउ, हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद, 1932
5. राजमार्तण्ड ज्योतिष भोजराज पाण्डुलिपि क्र. 342/1879-80 भाण्डारकर ओरियण्टल रिसर्च इंस्टीट्यूट पूना

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