Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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कुल्लू नाग देवता मंदिर समाजिक और आस्था के परिप्रेक्ष्य में

    1 Author(s):  DR. SUNITA

Vol -  5, Issue- 8 ,         Page(s) : 30 - 35  (2014 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

हिमाचल प्रदेष को पूरे भारतवर्ष में लोेग श्रद्धा तथा आदर भाव से देवभूमि के नाम से पुकारते हैं। प्रदेष का शायद ही कोई घर, गांव कस्बा, शहर या फिर घाटी होगी, जिसका सम्बंध किसी न किसी देवता,मंदिर या मान्यता से न हो। प्रदेष में प्रतिदिन कहीं न कहीं मेला, त्योहार या उत्सव मनाया जा रहा होता है। सभी को देवी-देवाओं में पूरी आस्था और विष्वास है। देव परम्परा समस्त समाज को एकसूत्र में बांधने का काम बखूबी करती है। समाज के सभी वर्ग, जाति एवं वय के लेाग देवी-देवताओं के मंदिर में पूजा, अनुष्ठानों, मेलों था त्योहारों इत्यादि के अवसर पर इकट्ठा होकर अपनी भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, मेल-जोल बढ़ाते हैं तथा अपने दुःख-दर्द से छुटकारा पाने का प्रयत्न करते हैं। देवी-देवताओं के प्रति गहरी आस्था होने के कारण इनके साथ लोगों का अपनेपन का सम्बंध होता है। देवताओं के साथ इनके अंतरंग सम्बंध होने के कारण दोनों के पूरक कहे जा सकते हैं।

(1.) सूरत ठाकुर, हिमाचल की देव संस्कृति मंदिर मेले व त्योहार एच॰जी॰ पब्लिकेषन्स, नई दिल्ली-110062
(2) विद्या षर्मा, कुलान्त दर्पण भूमिका, चन्द्र प्रकाषन डोभी खराहल, जिला कुल्लू, हिमाचल प्रदेष।
(3) सुदर्षन वषिष्ठ, हिमालय में देव संस्कृति, पृ. 11, पुष्पाजलि प्रकाषन दिल्ली-110053

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