Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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कालिदास के काव्यों में राष्ट्रचिन्तन

    1 Author(s):  PARMANAND KUMAR

Vol -  10, Issue- 1 ,         Page(s) : 16 - 19  (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

कविकुलगुरु राष्ट्रिय कवि हैं इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है। कालिदास के काव्यसिन्धु में जितना राष्ट्रिय चिन्तन उपलब्ध है उतना अन्यत्र नहीं है। ऐसा लगता है कि कालिदास को भारतभूमि के चप्पे-चप्पे से परिचय है। रघुवंशकाव्य में रघु राजाओं की दिग्विजय यात्रा, मेघदूत के पर्वतों, नदियों, स्थानों आदि का वर्णन आदि राष्ट्रभावना को दिखाता है। वशिष्ठ, वाल्मीकि, कण्व और मारीच जैसे ऋषियों के आश्रमों का वर्णन और भारतीय संस्कृति की अद्भुत मिसाल कालिदास के काव्यों में सर्वत्र उपलब्ध है।

1.  अशोक मानक संस्कृत हिन्दी शब्दकोश, शिवप्रसाद भारद्वान, अशोक प्रकाशन, नई दिल्ली, संस्करण-2005, पृ॰ 572
2. रघुवंश महाकाव्यम्, श्री पं॰ रामचन्द्र झा, व्याकरणाचार्य एवं पं॰ लक्ष्मी प्रपन्नाचार्य, चैखम्भा कृष्णदास अकादमी, वाराणसी, संस्करण-2011, पृ॰ 144-190
3. वही, पृ॰ 243-273
4. वही, पृ॰ 205-239
5. कुमारसम्भवम्, श्री शेषराजशर्मा ऐग्मी, चैखम्भा संस्कृत संस्थान, वाराणसी, संस्करण-2011, पृ॰ 1-13
6. वही, पृ॰ 194
7. संदर्भ संख्या - 2 का, पृ॰ 16
8. अभिज्ञानशाकुन्तलम्, सुबोधचन्द्र पंत, मोतीलाल बनारसी दास, संस्करण-2009,पृ॰ 496
9. क्रिमोर्वशीयम्, डाॅ॰ विन्ध्येश्वरी प्रसाद मिश्र, चै॰कृ॰अ॰, वाराणसी, संस्करण-2013,पृ॰ 284
10. वही, पृ॰ 285

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