Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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अधुनिक युग में वैदिक जीवन: समसामयिक परिदृश्य में भारतीय समाज की चुनौतियां
1 Author(s): DR. KAUSHALYA
Vol - 10, Issue- 7 , Page(s) : 21 - 28 (2019 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
हर युग में एक साथ कई सारे सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष माजूद होते हैं. वैदिक काल को देखें तो इसके पहले भी ग्रामीण लोक समाज की उपस्थति पुरातात्विक और ऐतिहासक अध्ययनों में दर्ज की गई है. यही लोकचेतना और परम्परा, वैदिक काल में भी मुख्यधारा के समान्तर ही रोमिला थापर और डी. डी कोसाम्बी जैसे विद्वानों ने साक्ष्यों के आधार पर दर्शायी है. वैदिक युग के बाद भी कालान्तर में यह लोक परम्परा चली आयी है. इस शोध के केन्द्र में ये लोक परम्पराएं और उन पर वैदिक संस्कृति, दर्शन व मूल्यों के प्रभावों की जांच-पड़ताल की जायेगी.