Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh
ISSN 2321 - 9726 (Online) New DOI : 10.32804/BBSSES
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पूर्व मध्यकालीन भारतीय परिवेश में मिथिला
1 Author(s): DR. SANTOSH KUMAR JHA
Vol - 9, Issue- 4 , Page(s) : 30 - 36 (2018 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES
वर्णरत्नाकर (1300ई.) का अध्ययन मिथिला के पूर्व मध्यकालीन इतिहास की जानकारी के लिए विशेष महत्व रखता है। ग्रंथ समकालीन वर्णक ग्रंथों में सर्वोत्कृष्ट है। बारहवीं से चौदहवीं ई. तक के पूर्वोत्तर भारत का ऐसा सजीव चित्रण एक ही ग्रंथ में और कहीं नहीं मिलता। इतिहास का ग्रंथ न रहने पर भी इतिहास की इसमें बहुमूल्य सामग्री है। इसकी उपादेयता ऐतिहासिक दृष्टि से भी बहुत अधिक है। भारत के पूर्व मध्यकाल के संबंध में तो यों ही प्रचुरता से सामग्री उपलब्ध नहीं है और देखा यह जाता है कि इतिहासकार अन्य प्रकार की साहित्यिक एवं परम्परागत सामग्रियों का उपयोग करने से दूर भागते हैं।