Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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भूमंडलीकरण और हिन्दी

    1 Author(s):  ANAND KUMAR

Vol -  4, Issue- 4 ,         Page(s) : 95 - 98  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

‘‘भूमंडलीकरण के वर्त्तमान दौर में भाषा की भी एक अहमियत है। भूमंडलीकरण के इस दौर में हिन्दी वैसी भाषा है, जो केवल लाभ के सिद्धान्त तक ही सीमित रह गई है। विश्व की दूसरे सबसे ज्यादा बोली जाने वाली यह भाषा की बाजार में पैठ के बजाय घुसपैठ हो रही है। अत: आज यह जरूरी है, कि इसकी अहमियत को सिर्फ पेशे और लाभ से जोड़कर न देखा जाए बल्कि इसको एक ठोस जमीन/आधार प्रदान की जाए ताकि अन्य भाषाओं की तरह यह भी अपनी जड़ों को गहरी कर सके और विकसित हो सके, जैसा कि अनेक विकसित देशों की अपनी राष्ट्रभाषा के साथ हुआ है।’’

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