Bhartiya Bhasha, Siksha, Sahitya evam Shodh

  ISSN 2321 - 9726 (Online)   New DOI : 10.32804/BBSSES

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गजल की उत्पत्ति एवं परिवर्तित रूप

    1 Author(s):  SAILJA

Vol -  4, Issue- 3 ,         Page(s) : 106 - 111  (2013 ) DOI : https://doi.org/10.32804/BBSSES

Abstract

'गज़ल शब्द की व्युत्पत्ति इसके व्यापक अर्थ एवम उदर्ू काव्य जगत एवम उत्तर भारतीय संगीत जगत की सबसे अधिक प्रभावित करने वाली रचना 'गज़ल है । ग़ज़ल अभिव्यकित का एक बहुत ही खूबसूरत माध्यम है । इसमें कोमलता भी है, नर्मी भी है, स्वच्छता और निर्मलता एवम मूल रूप से श्रृंगारिकता भी है । ग़ज़ल का क्षेत्र विस्तृत है ग़ज़ल के व्यापक अर्थ को जानना अति आवश्यक है । ग़ज़ल का जन्म फारसी भाषा साहित्य में हुआ उस समय बादशाहों की प्रशंसा में जो कसीदे अर्थात प्रशंसात्मक काव्य रचे जाते थे । उसमें काव्य का एक भाग तरबीब के नाम से जाना जाता था । इसमें कवि को अपने मन की बात कहने की स्वतन्त्रता रहती थी । इसमें वह प्राÑतिक सौन्दर्य प्रेम व वियोग आदि की भावनाओं को व्यक्त करता था । कसीदे का यही भाग उससे होकर 'ग़ज़ल बन गया ।

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  1. सरदार मुजावर अली, हिन्दी ग़ज़ल के विविध आयाम, पृ॰ 13
  2. संगीत पत्रिका, ग़ज़ल अंक (विशेष संस्करण), पृ॰ 1 
  3. रोहिताश अस्थाना, हिन्दी ग़ज़ल: उदभव और विकास, पृ॰ 18
  4. नगेन्द्र, हाली के काव्य सिद्धान्त, आजकल मासिक पत्रिका, सितम्बर 1962, पृ॰ 36
  5. जदीद, उर्दू-हिन्दी शब्दकोश, पृ॰ 279
  6. नवलजी, नालंदा विशाल शब्द सागर, पृ॰ 303
  7. श्रीपाद जोशी, उर्दू मराठी शब्दकोश, पृ॰ 113
  8. धीरेन्द्र वर्मा, हिन्दी साहित्य कोश, भाग - 1, पारिभाषिक शब्दावली, पृ॰ 279
  9. के॰ वासुदेव गोविन्द आपटे, मराठी शब्द रत्नाकर, पृ॰ 142
  10. सरस्वती शब्दकोश, भाग-1, पृ॰ 519
  11. त्ण्ैण् डबहतमहवदए ळीं्रंस । च्वमउ व िच्ंतजपब डमजतपबंस ज्लचम व िवदम वत पदबसनकपदह बवउमदजपवदंससल ंद ।दंजवतल ज्ीमउमण् ज्ीम व्गवितक भ्पदकप.म्दहसपेी क्पबजपवदंतलए चण् 250
  12. ।उंतमेज क्ण् ।जजंए ज्ीम ूवतक श्हीं्रंस ूीपबी सपजमतंससल मउंदे श्जंसापदह जव वत ंइवनज ूवउमदश् बवउमे तिवउ ।तंइपब ।तज ंे ं सपजमतंतल जमतउ कमदवजपब ं वितउ व िसलतपबंस चवमजतल ूंे पितेज नेमक पद प्तंण् म्दबलबसवचंमकपं व िप्दकपंद स्पजमतंतल.2ए चण् 1395
  13.  दर्वेश इब्राहिम, ग़ज़ल औश्र मल्का-ए-ग़ज़ल, पृ॰ 5
  14.  उमेश जोशी, भारतीय संगीत का इतिहास, पृ॰ 269
  15.  अब्दुल अहद खां खलील, ग़ज़ल के 50 लाल, पृ॰ 52
  16.  श्रंहरपज ैपदहीए ब्वउम ।सपअम पद ब्वदबमतज ूपजी श्रंहरपज ैपदहीए ।दपजतं ैपदहीए ठज्भ्टै 63589ए 90ए ैजमतमे ब्ंेेमजजम ैपकम ।ए ब्नज 1ण्

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